★★★★★★
आख़िरी खत
★★★★★★
है इंतज़ार उस बबातों का, उस मंज़र का उन हालातों का,
जिस लम्हें साथ छोड़ चली तुम, बीच सफ़र मुँह मोड़ चली तुम, उस पल से मै हुआ हूँ गुम,
अब ये आखिरी ख़त है ध्यान से पढ़ना, फिर कभी न तुम किसी और से लड़ना,
तुम हो दिल की बड़ी ही अच्छी, बिलकुल कोई मासूम सी बच्ची,
रखना अब तुम खुद का ख्याल, फिर अब कभी न पूछूँगा तुम्हारा हाल,
खूब जतन किया तुम्हे मनाने का, तुम्हारे हर दुःखों को अपनाने का,
पर शायद अब तुम बड़ी हो गयी, या फिर हमारे ख्यालातों में कुछ गड़बड़ी हो गयी,
तू अब अपनी मंजिल में आगे निकल गयी पर मै भी अब खुद में सम्भल गया,
अब न पीछे मुड़ देखूं मै, अब तेरी न राह तकू मै,
उन राह को अब भूल चला, जिस राह पे कभी तुमसे मिला,
वो गलियां, वो चौबारे, अब नहीं मुझको फिर पुकारे,
पर तेरे जाने से मुझसे रूठ गयीं ये बहारें,
पर फिरभी न मिलूंगा अब कभी तुमसे, ये कर चूका अब वादा खुदसे,
अब ये साँस छूट जायेंगी, पर तेरे चौखट तक ये निगाह फिर कभी न जायेंगी,
पुकार है आज भी मेरी तेरे प्यार को, पर इंतज़ार नही मुझे; तेरे ऐतबार को,
अब तुमसे न कभी मिलूंगा, दर्द के प्याले बेशक पी लूँगा,
इक रोज़, इक शाम तुझे एहसास होगा, पर ये रुद्रांश रोहित फिर कभी न तेरे पास होगा,
खूब कर ली आज़माइश तूने, पूरी हो गयी ज़ख़्म देने की ख्वाइश तेरी।
बस तुम खुश रहो उस रब से सिफारिश है, तेरे सारे ज़ख़्म मुझे मिलें बस इतनी सी कोशिश है।
अब ये आख़िरी खत तेरे नाम का, ये है हाले बयाँ मेरे अंज़ाम का।।
■■■■■■■■■
#copyright
#रोहित_गोस्वामी
#मेरठ, उत्तर प्रदेश
दिनांक- 22/मई/2016
04:28AM
आख़िरी खत
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है इंतज़ार उस बबातों का, उस मंज़र का उन हालातों का,
जिस लम्हें साथ छोड़ चली तुम, बीच सफ़र मुँह मोड़ चली तुम, उस पल से मै हुआ हूँ गुम,
अब ये आखिरी ख़त है ध्यान से पढ़ना, फिर कभी न तुम किसी और से लड़ना,
तुम हो दिल की बड़ी ही अच्छी, बिलकुल कोई मासूम सी बच्ची,
रखना अब तुम खुद का ख्याल, फिर अब कभी न पूछूँगा तुम्हारा हाल,
खूब जतन किया तुम्हे मनाने का, तुम्हारे हर दुःखों को अपनाने का,
पर शायद अब तुम बड़ी हो गयी, या फिर हमारे ख्यालातों में कुछ गड़बड़ी हो गयी,
तू अब अपनी मंजिल में आगे निकल गयी पर मै भी अब खुद में सम्भल गया,
अब न पीछे मुड़ देखूं मै, अब तेरी न राह तकू मै,
उन राह को अब भूल चला, जिस राह पे कभी तुमसे मिला,
वो गलियां, वो चौबारे, अब नहीं मुझको फिर पुकारे,
पर तेरे जाने से मुझसे रूठ गयीं ये बहारें,
पर फिरभी न मिलूंगा अब कभी तुमसे, ये कर चूका अब वादा खुदसे,
अब ये साँस छूट जायेंगी, पर तेरे चौखट तक ये निगाह फिर कभी न जायेंगी,
पुकार है आज भी मेरी तेरे प्यार को, पर इंतज़ार नही मुझे; तेरे ऐतबार को,
अब तुमसे न कभी मिलूंगा, दर्द के प्याले बेशक पी लूँगा,
इक रोज़, इक शाम तुझे एहसास होगा, पर ये रुद्रांश रोहित फिर कभी न तेरे पास होगा,
खूब कर ली आज़माइश तूने, पूरी हो गयी ज़ख़्म देने की ख्वाइश तेरी।
बस तुम खुश रहो उस रब से सिफारिश है, तेरे सारे ज़ख़्म मुझे मिलें बस इतनी सी कोशिश है।
अब ये आख़िरी खत तेरे नाम का, ये है हाले बयाँ मेरे अंज़ाम का।।
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#मेरठ, उत्तर प्रदेश
दिनांक- 22/मई/2016
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