कल को वो भी तड़पेगा
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आज हम तड़प रहे हैं, कल को वो भी तरसेंगे,
मेरे आँसू के ये मोती कभी उनके आँखों से बरसेंगे,
आज तन्हा बैठ के हमने तारे गिन - गिन रात काटी है,
अभी सितम की रात यारों उनकी भी तो बांकी है,
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राह के पत्थर चुन - चुन उनने हीरों का मोल भुला बैठे,
चकाचौन्ध की इस दुनिया में रिश्ता अनमोल लूटा बैठे,
किये वादे सब तोड़ चले अब, बहुत दूर वो जा बैठे,
प्रेम विश्वास की अस्मिता को वो बाजार में दाव लगा बैठें,
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टूटा है जो अपना रिश्ता, रूह का मेरी था वो हिस्सा,
तोड़ के मेरे विश्वास को खत्म किया तूने मेरा किस्सा,
आज अकेले तड़प रहा हूँ, कल को तू भी तड़पेगा,
मेरे सीने का ये ज्वाला जब तेरे हृदय में भड़केगा,
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तू बैठ अकेले रोयेगी, तेरी आँखे न फिर जल्द सोयेंगी,
जिस पल यादों के सागर में उतर तू खुद को उसमे खोयेगी,
उस पल तेरा दिल मुझसे मिलने को तरसेगा,
पर बड़ी दूर उस जमीं के भीतर मेरा दिल भी बस तेरी ख़ातिर धड़केगा।।
बड़ी दूर उस जमीं के भीतर मेरा दिल भी बस तेरी खातिर ही धड़केगा।।
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#रोहित_गोस्वामी
#मेरठ, उत्तर प्रदेश
दिनाँक - 06 मई 2016
19:55 PM
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