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जीना इक मज़बूरी
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तुम्हें देखे बिना ज़िन्दगी कुछ
अधूरी सी है; तेरे बिन ज़ीना इक
मजबूरी सी है,
तू रेशम सा ख़्वाब है; मेरे दिल का
आफ़ताब है,
तेरे चेहरे की मुश्कियां; तेरे धड़कनों
की सिस्कियां,
तेरे आँखों में शर्मो हया; जिसपे मेरा
दिल था फिसल गया।
तू हूर पर आसमान आयी है;
प्यार में न जाने मैने कितनी चोटें खायी है,
इक तू है और ये तेरी रूशवायी है;
मेरी वफ़ा भी तेरे आगे आकर शरमायी है,
तुम्हें भूल जाना ये मुश्किल है लेकिन; वो यादें
भूल पाऊँ ये मुमकिन नही है,
वो तेरा मुस्कुराना, तितलियों के पीछे जाना;
कोयलिया की कूक को फिरसे दोहराना,
वो छिपना - छिपाना; तेरा मुझसे शरमाना,
वो तेरा रूठ जाना; मेरा फिर तुझको मनाना,
मनाते हुए तुझको गाने सुनना,
नही भूलसकता वो तेरा बहाना,
वो बातें पुरानी, वो रिश्ता पुराना,
नही भूल सकता मै वो अपना ठिकाना;
तेरे शहर का वो आबोदाना,
तुम्हे भूल जाऊँ ये मुश्किल है लेकिन; वो यादें
भूल पाऊँ ये मुमकिन नही है,
तुम्हे देखे बिना ज़िन्दगी कुछ अधूरी सी है,
तेरे बिन सारी खुशियाँ बिलकुल बेनूरी सी है।।
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#रोहित_गोस्वामी
#मेरठ, उत्तर प्रदेश
दिनाँक - 06 मई 2016
02:49AM
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