वो दोस्त जिसे दिल से चाहा, अपना समझा, शायद उसे आज मेरी फ़िक्र नही,
अब उसकी किसी भी बात में कहीं पर भी मेरा जिक्र नहीं,
जो कल तक थे मेरे जिंदगी के नाज़, मेरे सर के ताज,
मुझे देखके मुँह फेर लेते न जाने क्यों आज?
शायद कोई गुनाह किया हो हमने,
या फिर शायद उन्हें तबाह किया हो हमने,
पर अब पहले वाली बातें न है, न जाने क्यों अब पहले जैसे रातें न हैं,
शाम ढल जाती है, यूँ ही उदासी में,
अकसर उसकी ही याद आती है मुझको बदहवाशि में,
शायद अब उसके जिन्दगी में मेरे कोई मायने न है,
मेरी दोस्ती की सच्चायी के उसके जहन में जैसे आइने न हो,
उसे अपने भाई से बढ़कर माना, उसे अपना सबसे प्यारा दोस्त है जाना,
पर शायद कहीं मुझसे हुयी कुछ भूल, क्योंकि अंत में तो मेरे हिस्से में तो दर्द ही आना है।
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#रोहित_गोस्वामी
#मेरठ, उत्तर प्रदेश
दिनाँक- 12/मई/2016
01:15AM
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