Powered by Blogger.

Random Posts

Most Recent

Copyrighted.com Registered & Protected 
S4KC-J0UZ-MVHS-Q8FG

Blog Archive

Search This Blog

Blog Archive

AD (728x60)

Recent

Comments

Facebook

Advertising

Flickr Widget

Formulir Kontak

Name

Email *

Message *

Contact us

Name

Email *

Message *

Business

About us

Why to Choose RedHood?


This Site uses cookies. By using the website you (the visitor) agrees to Terms, Privacy Policy And DMCA Policy Of the Website.

Popular Posts

Popular Posts

Wednesday 4 May 2016

न जाने कैसा रिश्ता है :: __ रोहित गोस्वामी

By: | In: | Last Updated:



ये मेरी नयी रचना है, इसे अवश्य पढ़ियेगा। ज्यादा वक़्त नही लेगी बस 3 मिनट की 
कविता पाठ है और दिल से समझने की कोशिश करियेगा तथा उसके पश्चात अपनी 
प्रतिक्रिया अवश्य दीजियेगा।
इसका शीर्षक -->

               ★★★★★★★★★★★
               न_जाने_कैसा_ये_रिश्ता_है
               ■■■■■■■■■■■■■




न जाने कैसा ये रिश्ता है? न जाने कैसी कहानी है?
बहुत दूर आसमान से परी आयी सुहानी है...
दुनिया वाले हैं पूछे वो है कैसी? सोचे हैं शायद वो होगी ऐसी - वैसी...
वो है गुलाब के फूल जैसी, उसकी आँखें नशीली मृगनैनी सी,
उसके चेहरे पे लाली, उसके बाल सुनहरे काले,
वो बोले तो उसके होंठों से बहता है रस, 
उसकी मुस्कान के आगे सभी जाते हैं फंस,
उसके रूप का निखार देख लोग हैं पगलाये, 
उसकी स्वरों की मिठास सुन सभी हैं मस्ताये...
परंतु न मै करता हूँ उसके इस जिस्म से प्यार,
मुझे तो है बस अपनी रूह - मिलन का इन्तज़ार
उसकी आत्मा है सुंदर, माँ की ममता सी कोमल, 
उसका स्वभाव है पवित्र गंगा की लहरों सा निर्मल,
न जाने कितने जनमों से फिरता हूँ बेकरार,
मुझे है बस अपने रूह के संगम का इन्तज़ार...
वो आती है ख्वाबों में, गहरे समंदर से,
आँखें खुलते ही हो जाती है औझल फिरसे,
वो परियों की शहज़ादी दूर आसमान से आयी है,
शायद उसे रब ने मेरे ख्वाबों के लिए ही बनाया है,
बेशक उसने अब तक मुझे ठुकराया है,
पर ख़ुशी इस बात की है, कि आँखों ने हर दम उसके ख्वाबों को ही अपनाया है...
इन आँखों के विश्वास पर मै करता हूँ नाज़, 
तुझे न पाने की हक़ीकत को इसी सोच पे ठुकराता हूँ फिर आज...
न जाने कैसा ये रिश्ता है, न जाने कैसा ये लम्हा है,
ये लम्हा कभी थमता नहीं, और ये रूह है की तुझमें कभी खोती नहीं,
कसूर सिर्फ इन आँखों का है जो हर पल जनमों - जनमों से तेरी याद में ही रोती रहीं....
.
न जाने कैसा ये रिश्ता है, न जाने ये कैसी कहानी है।।

■■■■■■■■
#copyright
#रोहित_गोस्वामी
#मेरठ
दिनाँक- 22/अप्रैल/2016
2:30PM

No comments:
Write comments