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धुंध भरी शाम
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खूब तम्मना है उनसे मिलने की आज फिर,
फिर इक शाम मज़लूम हो जाने की उनकी यादों में,
दर्द के बाशिंदे हैं हम, खो जाने दे मुझे तेरी आँखों में,
हो जाने दे फिरसे गुम मुझे तेरी मीठी उन बातों में,
होना है आज शाम ज़ाम में गुम,
तू पिला मुझे अपनी आँखों से,
मै पीता जाऊँ अपने कलमों से,
खो जाने दे मुझको तू, फिर आज मदहोशी सी छा जाने दे,
आज फिर मुझे अपनी यादों के धागों में गुम हो जाने दे।
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#रोहित_गोस्वामी
#मेरठ, उत्तर प्रदेश
दिनाँक - 05 मई 2016
6:30 PM
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