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Tuesday, 3 May 2016

रूह का हिसा:: __ रोहित गोस्वामी

By: | In: | Last Updated:




        ★★★★★★ 
        रूह का हिस्सा 
        ★★★★★★


तेरी मुस्कान हमारी जान थी, तेरा मिलना मेरा इक सपना था, 
उम्मींदे थी तुझसे मिलूंगा इक रोज़ कहीं, मिल के खो जाऊंगा, तुझमें हरपल के लिये, 
तेरा मुस्कियाना, तेरा शरमाना, शरमा के पलके झुकना, झुकी पलकों से चोरी चोरी नजरें मिलाना, सोचा सब कैद कर लूँ अपने रूह के साये के लिए, 
हमारा साथ - हमारा मिलन, हमारी हर बात, सब सीने में छुपा लूँ, तुझे अपनी धड़कन में बसा लूँ, 
पर शायद ज़माने वालो की नज़रें बुरी, जिसके कारण हमारे बीच हो गयी दूरी, 
....
हम खुद को खुदा समझ बैठे तुझे पाने के लिये, 
ज़माने भर ने हम ही से दुआयें मांगी, हमारा साथ अलग हो जाने के लिये, 
हमने भी कर ली सबकी दुआयें कबूल , सिर्फ तुझे आज़माने के लिए, 
ज़माने वाले क्या जाने हमने कितनी मिन्नतें की थी उस रब से तुझे पाने के लिये, 
ख़त्म हो गया हमारा किस्सा, आज भी है तू मेरी रूह का हिस्सा..।। 



‪#‎रोहित_गोस्वामी‬, ‪#‎मेरठ‬
■■■■■■■■■■■■
दिनांक- 18/मार्च/2016 
10:12AM

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