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रूह से रूह की मिलन
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वो लम्हें तेरे साथ के, जो बीत गये तेरी याद में,
वो रात थी बरसात की, जब हुयी पहली मुलाकात थी,
सुनसान सी गलियों में, हम दोनों गुमशुम थमें हुये,
मिलन की पहली बारिश में, हम दोनों थे फिर गुम हुये,
वो लम्हा था कुछ खिला-खिला, जिस पल तेरा था साथ मिला,
तू आसमान की शहज़ादी, में फूल कलि का भँवरा सा,
आ फिर इक पल लौट चले, इक दूजे से जो रूह मिले,
तेरी मुस्कियाँ देखन को, मेरे नयन तरसे है,
आज मिलन फिर इक बारी, धरती का सागर से है,
सागर मिलन को तरसे है, नैन मिलन को बरसे है,
अम्बर घिरे अंधेरा छावे, रुत मिलन की वो फिरसे आवे,
आज भी तेरे इन्तेजार में, ताके मेरे नैन है,
बिन सजनी से मिलन के अब तो, रूह मेरी बेचैन है
बिन सजनी से मिलन के अब तो, रूह मेरी बेचैन है।।।
#रोहित_गोस्वामी
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दिनाँक - 04 मई 2016
12:42AM
#मेरठ
यदि
कविता
आपकी रूह को
छू
जाये तो
मुझे
जरूर अपनी रूह का हिस्सा बनाइयेगा।।
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